Tuesday, December 21, 2010

hindi sher.....

"Shayar likhta hai Khuda ki nemat me, hum aashik padhte hai ishe husn ki ibadat me..."


"Maine likhi thi ek kalaam-
Allaha pak ki tariff-e-mohabbat me.
Magar nadan insaan kha samja??
Karta hai ikraar ishe noor se Ijhaar-e-mohabbat me”

Friday, December 17, 2010

khoon bhele yo khoon....

खून..............!!

गम घर में शोर मचल अछि,
सज्जन सब आई चोर बनल छथि,
कि अछि एकर कारण ?
भ्रष्ट समाजक रीति में,
अंधकारक प्रीति में,
प्रेमक भेल अछि खून।
खून भेलै यौ खून......!!
न लाज न धाख, केवल बेईमानक अछि साख,
दुनिया के भेल ई रीवाज।
एना चलतै कोना, दिन ढलतै कोना ?
करु नेॅ कोनो उपचार।
भ्रष्टाचारक अछि अध्किार,
नीक खराबक नहिं अछि विचार।
भ्रष्टताक उन्माद में,
प्रेमक भेल अछि खून।
खून भेलै यौ खून........!!
भेल आठो पहर, जीने दूभर हमर,
अछि शमशान बनल ई धरती समर।
बाट चलू कोना, गप्प करु कोना ?
देह में भरल अछि जहर।
कलंक आई हथियार बनल अछि,
नीचताक सीमा मिटल अछि,
प्रेमक भेल अछि खून।
खून भेलै यौ खून........!!

अविनाश कुमार
लालगंज, सरिसब-पाही
मधुबनी
मो.-8051997288
ईमेल-ak25avi@gmail.com

ghuri aau ghar hey Pardesia.....

घुरि आउ घर हे परदेशिया ...........!!

अछि दुशासन बनल आई पश्चिम के बयार,
चीर हरण के अछि तैयार।
किया छी रुसल यौ मिथिला के पूत ?
आई कियेा नहिं बैासाईत, नहिं देत हकार,
अपने चिन्हु अपन संस्कार।
मिझा रहल अछि आई दीप घर में,
पसरि रहल अछि सैांसे अन्हार।
जनम देलनि जेकरा ओते दुःख कस्ट झेल के,
बदलि गेल आई ओहि संतानक ब्यबहार।
गेला घर सॅं किछु निक सिखै लेल,
मुदा बिसरि गेला अछि लाज-विचार।
पाहुन परख के आदर के पूछय ?
पैर नहिं छुबैत हाथ मिलाबैत,
कहतैत- नव पीढी के नया व्यवहार।
जे माई बाप हिनका पैघ बनेलक,
ओकरे आई छथि ई ठुकरबैत।
पाई मुॅह पर एना फेकैत छथि-
जेना केानेा कर्जा सधाबैत।
हक्कन कनता काल्हि ई कपूत सब,
पाथर सॅं फेारता अपन कपार।
मेान राखब हमर गप्प अहॉं,
सुनत लेाक काल्हि हिनक चीत्कार।
जाहि ध्रती पर कवि विद्यापति, नार्गाजुन के जनम भेल,
गैातम, मंडन, अयाचि सन भेल विद्वान,
ओहि माटि पर आई भेल सुखाड़।
छल स्याहि कागज जतय के गहना,
अछि आई ओतय स्नेा पाउडर के भरमार।
जकरा अहॉं बुझै छी फैशन के नगरी,
ओ काल्हि बनत गला के फॅंसरी।
होयत संतान अहूॅ के दू टा,
देत अहूॅ के एहने उपहार।
घुरि आउ घर देरि नहिं भेल,
बनू सपूत, बनू होशियार,
करु मातृभूमि सॅं स्नेह अपार।
अछि आई मिथिला अहॉंक स्वागत के तैयार।
हम अविनाश अहॉं के संवदिया,
घुरि आउ घर हे परदेशिया ...........!!
घुरि आउ घर हे परदेशिया ...........!!

अविनाश कुमार
लालगंज, सरिसब-पाही
मधुबनी
मो.-8051997288
ईमेल-ak25avi@gmail.com

Nhi Bigru......!!


2. नहिं बिगडु. ........ ।।

छी बालक हम अबोध अज्ञान,
नहिं नीक नहिं खराबक ज्ञान,
प्रेम मात्रक अछि अभिज्ञान।
हम नै चिन्हीं दोस आ दुश्मन,
किया अछि चढहल ऑखि हमरा पर?
बात नहिं, कर पकडु़......!!
नहिं बिगडु.....नहिं बिगडु.....।।

अछि अनजान हमर पहचान,
के छथि हमर जनक आ-
के जननी महान ?
छी अनाथ हम टुगड़,
करू कल्याण, कर पकड़ु......!!
नहिं बिगडु.....नहिं बिगडु.....।।

फेंक देलक ओ जनम देहि के,
बदनसीब हम संतान।
कि छल हमर अपराध जे-
बनल अभिषप्त जीवन-जान ?
किया खिसियै छी हमरा पर ?
करू दया, कर पकड़ु.....!!
नहिं बिगडु.....नहिं बिगडु.....।।


अविनाश कुमार
लालगंज, सरिसब-पाही
मधुबनी
मो.-8051997288
ईमेल-ak25avi@gmail.com

kiya Madirayal achhi nayan.....???


1.            किया मदिरायल अछि नयन?


नहिं बनु एना फैशन में आन्हर,
अहॅा छी ताकत, अहॉ दी युवक,
बनु दृढप्रतिज्ञ, बनु दिवाकर।
नहिं फॅसू ई घातक फैशन जाल में,
छीन लेत परिवारक सब सुख-चैन।
किया मदिरायल अछि नयन?
अहॉ छी युवा, समाजक आईना,
अछि उम्मीद अहॉ से बहुत,
नहिं बनाउ मदिरा के गहना।
छी उज्ज्वल भविष्यक किरण अहॉ,
नहिं आनु कुसमय में रैन।
किया मदिरायल अछि नयन?
अछि भयानक एकर परिणाम,
होयत आसाध्य रोग,
जेकर नहिं अछि निदान।
कोन अपराध अहॉक जवानी के,
जेकर अहॉ लै छी कैन?
किया मदिरायल अछि नयन?
नहिं अछि अविनाश धरा पर किछु,
केवल अमिट अछि कर्म, संकल्प एतय।
रहत चिरकाल धरि गवाह बनल,
ई धरती हवा पानि।
चिन्हु अपन कर्तव्य पथ के,
नहिं राखु मदिरायल नयन।
नहिं राखु मदिरायल नयन।




अविनाश कुमार
लालगंज, सरिसब-पाही
मधुबनी
मो.-8051997288
ईमेल-ak25avi@gmail.com