Thursday, March 24, 2011

अछि मरल स्वाभिमान आई पाई बिनु.

अछि पुत्र  विकल विह्वल हे माई सुनु,
अछि मरल स्वाभिमान आई पाई बिनु.
कोमल ह्रदय चीत्कार करैत अछि,
'अप्पन लोक' दुत्कार करैत अछि.
स्वार्थ-प्रीत से आन्हर समाज ,
बनल कृतघ्न, तेजल लाज.
विवेकहीन  बनी  दुर्व्यवहार  करैत  अछि ,
किया  नहि  केखनो  विचार  करैत  अछि ?
खोलू  हमरो  कपारक  किवार  हे  माई ,
अछि  थाकल  शरीर , आब  कोना  करू  लराई ?
कोना  जियब  पहार  जिनगी  हम ?
गरीबी   में  जनम  अपराध  छल ? वा -
फूटल  अछि  हमर  करम  ?
सुनु -सुनु  हे माई सुनु ,
अछि  मरल  स्वाभिमान  आई  पाई  बिनु .

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